Hindi Poem of Bharatendu Harishchandra “ Marag prem ko ko samjhe  , “मारग प्रेम को को समझै” Complete Poem for Class 10 and Class 12

मारग प्रेम को को समझै

Marag prem ko ko samjhe  

 

मारग प्रेम को को समझै ‘हरिचंद’ यथारथ होत यथा है।

लाभ कछू न पुकारन में बदनाम ही होने की सारी कथा है।

जानत है जिय मेरो भला बिधि और उपाय सबै बिरथा है।

बावरे हैं ब्रज के सगरे मोहिं नाहक पूछत कौन विधा है।

 

 

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