Hindi Poem of Bharatendu Harishchandra “Mukriyan, “मुकरियाँ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

मुकरियाँ

 Mukriyan

 

सीटी देकर पास बुलावै।

रुपया ले तो निकट बिठावै।।

लै भागै मोहि खेलहिं खेल।

क्यों सखि सज्जन, नहिं सखि रेल।।

सतएँ-अठएँ मा घर आवै।

तरह-तरह की बात सुनावै।।

घर बैठा ही जोड़ै तार।

क्यों सखि सज्जन, नहीं अखबार।।

 

 

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