Hindi Poem of Bhartendu Harishchandra “Udho jo anek man hote , “ऊधो जो अनेक मन होते ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

ऊधो जो अनेक मन होते – भारतेंदु हरिश्चंद्र

Udho jo anek man hote – Bhartendu Harishchandra

 

ऊधो जो अनेक मन होते
तो इक श्याम-सुन्दर को देते, इक लै जोग संजोते।
एक सों सब गृह कारज करते, एक सों धरते ध्यान।
एक सों श्याम रंग रंगते, तजि लोक लाज कुल कान।
को जप करै जोग को साधै, को पुनि मूँदे नैन।
हिए एक रस श्याम मनोहर, मोहन कोटिक मैन।
ह्याँ तो हुतो एक ही मन, सो हरि लै गये चुराई।
‘हरिचंद’ कौउ और खोजि कै, जोग सिखावहु जाई॥

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