Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “ Andheri rat“ , “अँधेरी रात” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

अँधेरी रात

 Andheri rat

 

पी लेती है जैसे

छाया को

ऐसे पी लेता है

अर्थों को अँधेरा मन

तभी तो आज

हवा फागुन की

डालियों में अटक रही – सी  है

और खटक रही- सी है

नयी आयी  हुई ऊष्मा

अभी-अभी फूटी हुई कोंपलों को

बहुत दूर

दक्षिण की तरफ़

नीली है पहाड़ की चोटी

और लोटी- लोटी लग रही है

आँगन के पौधे की आत्मा

स्तब्ध इस शाम के

पाँवों पर

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.