Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “ Bhaichara “ , “भाईचारा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

भाईचारा

Bhaichara 

 

दोनों मूरख, दोनों अक्खड़,

हाट से लौटे, ठाट से लौटे,

एक साथ एक बाट से लौटे।

बात बात में बात ठन गई,

बांह उठी और मूछ तन गई,

इसने उसकी गर्दन भींची

उसने इसकी दाढ़ी  खींची।

अब वह जीता, अब यह जीता

दोनों का बन चला फजीता;

लोग तमाशाई जो ठहरे –

सबके खिले हुए थे चेहरे!

मगर एक कोई था फक्कड़,

मन का राजम कर्रा-कक्कड़;

बढ़ा भीड़ को चीर-चार कर

बोला ‘ठहरो’ गला फाड़ कर।

अक्कड़ मक्कड़ धुल में धक्कड़

दोनों मूरख दोनों अक्कड़,

गर्जन गूंजी, रुकना पड़ा,

सही बात पर झुकना पड़ा!

उसने कहा, सही वाणी में

डूबो चुल्लू-भर पानी में;

ताकत लड़ने में मत खोओ

चलो भाई-चारे को बोओ!

खाली सब मैदान पड़ा है

आफत का शैतान खड़ा है

ताकत ऐसे ही मत खोओ;

चलो भाई-चारे को बोओ!

सूनी मूर्खों ने जब बानी,

दोनों जैसे पानी-पानी;

लड़ना छोड़ा अलग हट गए,

लोग शर्म से गले, छंट गए।

सबको नाहक लड़ना अखरा,

ताकत भूल गई सब नखरा;

गले मिले तब अक्कड़ मक्कड़

ख़त्म हो गया धूल में धक्कड़!

 

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