Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “  Hansi aa rahi he“ , “हँसी आ रही है” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

हँसी आ रही है

 Hansi aa rahi he

 

कि क्या घेरते हो अंधेरे में मुझको!

बँधा है हर एक नूर मुट्ठी में मेरी

बचा कर अंधेरे के घेरे से मुझको!

करें आप अपने निबटने की चिंता

निबटना न होगा निबेरे से मुझको!

अगर आदमी से मोहब्बत न होती

तो कुछ फ़र्क पड़ता न टेरे से मुझको!

मगर आदमी से मोहब्बत है दिल से

तो क्यों फ़र्क पड़ता न टेरे से मुझको!

शिकायत नहीं क्यों कि मतलब नहीं है

न ख़ालिक न मालिक न चेरे से मुझको!

 

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