Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “  Jesa dikhta he“ , “जैसा दिखता है” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

जैसा दिखता है

 Jesa dikhta he

 

वैसा नहीं है

और न धरती

जैसी दिखती है वैसी है

ठीक नहीं कह सकता कोई

वह कैसा है यह कैसी है

मगर फिर भी अंधी आँखों बहरे कानों

हमें सब कुछ देखना-सुनना पड़ता है

ग़लत देखे–सुने में से

बेकाम  का ही सही

कुछ चुनना पड़ता है!

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