Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “ Kamal ke Phool“ , “कमल के फूल” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

कमल के फूल

 Kamal ke Phool

 

क्या करूँ’ इनका,

पसारें आप आँचल,

छोड़ दूँ;

हो जाए जी हल्का!

किन्तु होगा क्या

कमल के फूल का?

कुछ नहीं होता

किसी की भूल का-

मेरी कि तेरी हो-

ये कमल के फूल केवल भूल हैं-

भूल से आँचल भरूँ ना

गोद में इनका सम्भाले

मैं वजन इनके मरूँ ना!

ये कमल के फूल

लेकिन मानसर के हैं,

इन्हें हूँ बीच से लाया,

न समझो तीर पर के हैं।

भूल भी यदि है

अछती भूल है!

मानसर वाले

कमल के फूल हैं।

 

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