Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “  Mahange saste“ , “महंगे–सस्ते” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

महंगे–सस्ते

 Mahange saste

 

पांच ब्राहान न्योते तब

अरसराम, परसराम

तुलसी, गंगा, सालगराम!

अरसराम खाएँ अरसे तक

परसराम खाएँ परसे तक

तुलसी, तुलसीदल पर रहे

गंगा, गंगाजल पर रहे!

मगर अनूठे सालगराम

रहें ताकते सबके काम

इसका खाना उसका पीना

यही बन गया उसका जीना

पांच पांच भी सस्ते पड़े

पुन्न सहज मिल गए बड़े|

 

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.