Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “  Mangal Varsha“ , “मंगल-वर्षा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मंगल-वर्षा

 Mangal Varsha

 

हरियाली छा गयी, हमारे सावन सरसा री|

बादल आये आसमान मे,धरती फूली री,

अरी सुहागिन, भरी मांग में भूली -भूली री,

बिजली चमकी भाग सखी री, दादुर बोले री,

अंध प्राण सी बहे, उड़े पंछी अनमोले  री,

छन-छन  उडी हिलोर, मगन मन पागल दरसा री  |

पीके फूटे आज प्यार के, पानी बरसा री |

फिसली-सी पगडण्डी,खिसली आँख लजीली री,

इन्द्र-धनुष रंग रंगी, आज मै सहज रंगीली री,

रुनझुन बिछिया आज, हिला-डुल मेरी बेनी री,

ऊँचे-ऊँचे पेंग, हिंडोला सरग -नसेनी री,

और सखी सुन मोर! बिजन वन दीखे घर-सा री|

पीके फूटे आज प्यार के, पानी बरसा री|

फुर-फुर उड़ी फुहार अलक दल मोती छाये री,

खड़ी खेत के बीच किसानिन कजरी गाये री,

झर-झर झरना झरे ,आज मन प्राण सिहाये री,

कौन जन्म के पुण्य कि ऐसे शुभ दिन आये री,

रात सुहागिन गात मुदित मन साजन परसा री|

पीके फूटे आज प्यार के, पानी बरसा री|

 

 

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