Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “  Mera Apnapan“ , “मेरा अपनापन” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मेरा अपनापन

 Mera Apnapan

 

मैंने उसे भटकाया

लौटा वह बार-बार

पार करके मेहराबें

समय की

मगर खाली हाथ

क्योंकि मैं उसे

किसी लालच में दौड़ाता था

दौड़ता था वह मेरे इशारे पर

और जैसा का तैसा नहीं

थका और मांदा

लौट आता था यह कहने

कि रहने दो मुझे

अपने पास

मैं हरा रहूंगा

जैसे तुम्हारे पाँवों के नीचे की घास

मैंने देख लिया है

तुमसे दूर कहीं कुछ है ही नहीं

हम दोनों मिलकर

पा सकेंगे उसे यहीं

जो कुछ पाने लायक है।

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