पानी को क्या सूझी
Pani ko kya sujhi
नदी के किनारे पर गया
तो क्या जाने
पानी को क्या सूझी
पानी ने मुझे
बूँद–बूँद पी लिया
और मैं
पिया जाकर पानी से
उसकी तरंगों में
नाचता रहा
ररत-भर
लहरों के साथ-साथ
सितारों के इशारे
बाँचता रहा!
पानी को क्या सूझी
Pani ko kya sujhi
नदी के किनारे पर गया
तो क्या जाने
पानी को क्या सूझी
पानी ने मुझे
बूँद–बूँद पी लिया
और मैं
पिया जाकर पानी से
उसकी तरंगों में
नाचता रहा
ररत-भर
लहरों के साथ-साथ
सितारों के इशारे
बाँचता रहा!