Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “  Pralay“ , “प्रलय” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

प्रलय

 Pralay

 

मिट (मत) रहेगी झोपड़ी,

मिट जायेंगे नीलम-निलय भी|

सात है सागर   किसी दिन

फैल  एकाकार होंगे,

पंच तत्वों मे गये बीते

बिचारे चार होंगें,

धार मे बहना कहाँ का

अतल तक डुबकी लगेगी;

जागना तब व्यर्थ ही होगा,

अगर जगती जगेगी!

देखने की चीज़ होगी

मृत्यु की वैसी विजय भी|

एक दिन होगी प्रलय भी|

जब समुन्दर बढ़ रहा होगा,

बड़ी भगदड़ मचेगी,

और बडवानल निगोड़ी,

सामने आ कर नचेगी,

क्या बुझाएंगे फायर पम्प

मन मारे जलेंगे,

मौत रानी के यहाँ

उस दिन बड़े दीपक बलेंगे

लजा कर रह जायगी

उस रोज़ विद्युत्  की अन्य भी|

एक दिन होगी प्रलय भी|

हर हिमालय श्रृंग पर

उठती लहर की ताल होगी,

और बर्फीली सतह

बडवाग्नि पीकर लाल होगी,

कल होंगी तारिणी गंगा,

तरनिजा   व्याल होंगी;

और शिव होंगे न शंकर,

कंठगत नर-नाल होगी;

कर न पायेगा हमें आश्वस्त

जननी का अभय भी|

एक दिन होगी प्रलय भी!

हम की मिट्टी के खिलोने,

बूंद पड़ते गल मरेंगे!

हम की तिनके धार मे बहते,

शिखा छू जल मरेंगे;

नाश की किरणे कि द्वादश

सूर्य से श्रृंगार होगा;

कौन सा वह बुलबुला होगा

कि मत अंगार होगा—

किस तरह वरदा सफल

होंगी बहुत होकर सदय भी|

एक दिन होगी प्रलय भी!

वह प्रलय का एक दिन,

हर दिन सरकता आ रहा है;

काल गायक गीत धीमे ही

सही, पर गा रहा है;

उस महा संगीत  का हर

प्राण में कम्पन चला है;

उस महा संगीत का स्वर,

प्राण पर अपने पाला है;

आँख मीचे चल रहा है जग

कि चलता है समय भी|

एक दिन होगी प्रलय भी!

इस दुखी संसार में जितना

बने हम सुख लुटा दें;

बन सके तो निष्कपट मृदु  हास के,

दो कन जुटा दें;

दर्द कि ज्वाला जगायें ,नेह

भींगे गीत गायें;

चाहते हैं गीत गाते ही रहें

फिर रीत जायें;

यह कि तब पछतायगी अपनी

विवशता पर प्रलय भी|

मत  रहे तब झोपड़ी

मिट जय फिर नीलम निलय भी!

 

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