Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “  Shunya hokar“ , “शून्य होकर” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

शून्य होकर

 Shunya hokar

 

बैठ जाता है जैसे

उदास बच्चा

उस दिन उतना अकेला

और असहाय बैठा दिखा

शाम का पहला तारा

काफ़ी देर तक

नहीं आये दूसरे तारे

और जब आये तब भी

ऐसा नहीं लगा

पहले ने उन्हें महसूस किया है

या दूसरों ने पहले को!

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