Hindi Poem of Bhawani Prasad Mishra “ Vastut“ , “वस्तुत” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

वस्तुत

Vastut

 

मुझे वही रहना चाहिए

यानी

वन का वृक्ष

खेत की मेंड़

नदी कि लहर

दूर का गीत

व्यतीत

वर्तमान में उपस्थित

भविष्य में

मैं जो हूँ

मुझे वही रहना चाहिए

तेज गर्मी

मूसलाधार बारिश

कड़ाके की सर्दी

खून की लाली

डूब का हरापन

फूल की ज़र्दी

मैं जो हूँ

मुझे वही रहना चाहिए

मुझे अपना

होना

ठीक ठाक सहना चाहिए

तपना चाहिए

अगर लोहा हूँ

तो हल बनने के लिए

बीज हूँ

गड़ना चाहिए

फल बनने के लिए

मैं जो हूँ

मुझे वही बनने चाहिए

धारा हूँ अन्तःसलिला

तो मुझे कुएं के रूप में

खनना चाहिए

ठीक ज़रूरतमंद हाथों में

गान फैलाना चाहिए मुझे

अगर मैं आसमान हूँ

मगर मैं

कब से ऐसा नहीं

कर रहा हूँ

जो हूँ

वही होने से दर रहा हूँ

 

 

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