Hindi Poem of Bhushan “Dara kin na dor yah, rar nahi khajube ki, “दारा की न दौर यह,रार नहीं खजुबे की ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

दारा की न दौर यह,रार नहीं खजुबे की

Dara kin na dor yah, rar nahi khajube ki

दारा की न दौर यह, रार नहीं खजुबे की,

बाँधिबो नहीं है कैंधो मीर सहवाल को.

मठ विश्वनाथ को, न बास ग्राम गोकुल को,

देवी को न देहरा, न मंदिर गोपाल को.

गाढ़े गढ़ लीन्हें अरु बैरी कतलाम कीन्हें,

ठौर ठौर हासिल उगाहत हैं साल को.

बूड़ति है दिल्ली सो सँभारे क्यों न दिल्लीपति,

धक्का आनि लाग्यौ सिवराज महाकाल को.

 

 

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