जानत नहिं लगि मैं -बिहारी लाल
Janat nahi lagi mein – Bihari Lal Chaube
जानत नहिं लगि मैं मानिहौं बिलगि कहै।
तुम तौ बधात ही तै वहै नाँध नाध्यौ है॥
लीजिये न छेहु निरगुन सौं न होइ नेहु।
परबस देहु गेहु ये ही सुख साँध्यौ है॥
गोकुल के लोग पैं गुपाल न बिसार्यौ जाइ।
रावरे कहे तौ क्यौं हूँ जोगो काँध काँध्यौ है॥
कीजिए न रारि ऊधौ देखिये विचारि काहु।
हीरा छोड़ि डारि कै कसीरा गाँठि बाँध्यौ है॥