Hindi Poem of Bihari Lal Chaube “Kesari se baran subran, “केसरि से बरन सुबरन” Complete Poem for Class 10 and Class 12

केसरि से बरन सुबरन -बिहारी लाल

Kesari se baran subran – Bihari Lal Chaube

 

केसरि से बरन सुबरन बरन जीत्यौ।
बरनीं न जाइ अवरन बै गई॥

कहत बिहारी सुठि सरस पयूष हू तैं।
उष हू तैं मीठै बैनन बितै गई॥

भौंहिनि नचाइ मृदु मुसिकाइ दावभाव।
चचंल चलाप चब चेरी चितै कै गई॥

लीने कर बेली अलबेली सु अकेली तिय।
जाबन कौं आई जिय जावन सौं दे गई॥

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