Hindi Poem of Budhinath Mishra “ Akhbar”,”अख़बार” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

अख़बार

 Akhbar

अपराधों के ज़िला बुलेटिन

हुए सभी अख़बार

सत्यकथाएँ पढ़ते-सुनते

देश हुआ बीमार ।

पत्रकार की क़लमें अब

फ़ौलादी कहाँ रहीं

अलख जगानेवाली आज

मुनादी कहाँ रही?

मात कर रहे टी० वी० चैनल

अब मछली बाज़ार ।

फ़िल्मों से, किरकिट से,

नेताओं से हैं आबाद

ताँगेवाले लिख लेते हैं

अब इनके संवाद

सच से क्या ये अन्धे

कर पाएँगे आँखें चार?

मिशन नहीं गन्दा पेशा यह

करता मालामाल

झटके से गुज़री लड़की को

फिर-फिर करें हलाल

सौ-सौ अपराधों पर भारी

इनका अत्याचार ।

त्याग-तपस्या करने पर

गुमनामी पाओगे

एक करो अपराध

सुर्खियों में छा जाओगे

सूनापन कट जाएगा

बंगला होगा गुलजार ।

पैसे की, सत्ता की

जो दीवानी पीढ़ी है

उसे पता है, कहाँ लगी

संसद की सीढ़ी है

और अपाहिज जनता

उसको मान रही अवतार ।

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