Hindi Poem of Budhinath Mishra “ Chalalaa Gaam Bajar ”,”चलला गाम बजार” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

चलला गाम बजार

 Chalalaa Gaam Bajar 

हम ओ कनहा कुकूर नहि

जे बाबू साहेबक फेकल

माँड़े पर तिरपित भ’ जाइ ।

हमर आदर नहि करू

जुनि कहू पण्डित, जुनि कहू बाभन

हम सरकारक घूर पर

कुण्डली मारिकें बैसल

ओ कुकूर छी

जकरा महर्षि पाणिनी

युवा आ इन्द्रक पाँतिमे

सूत्रबद्ध केने छथि ।

हमर परदादा जहिया

बाध-बोनमे रहै छलाह तहिया बाघ जकाँ

तैनि क’ चलै छलाह।

तहिया गाम छलै दलिद्दरे

मुदा छलै सारिल सीसो ।

तहिया गामक माइ-धीकें

दोसरा आँगन जा क’ आगि मँगबामे

नहि छलै कोनो अशौकर्य ।

तहिया परिवासँ टोल, टोलसँ गाम

गामसँ जनपद, जनपदसँ राष्ट्र

आ राष्ट्रसँ विश्व-परिवार बनै छलै ।

बुढ़-बुढ़ानुस कहै छलाह-

यत्र विश्वं भतत्येक नीडम्!

छाडू पुरना बातकें, बिसरि जाउ

ओ परतन्त्र देसक कुदिन-सुदिन

बिसरि जाए ओ अराँचीक खोइयामे

सैंतल परबल देल जनौ ।

आब अहाँ छी परम स्वतन्त्र

वैश्वीकरणक सुनामी

अहाँक चौरा पर साटि रहल अछि

विश्वग्रामक चुम्बकधर्मी विज्ञापन ।

एकटा जानल-सुनल अदृश्य हाथ

चटियासँ भरल किलासमे

घुमा रहल छै, ग्लोबकें ।

दुनू पैर धेनें टेबुल पर

ग्लोब पर बैसल छै कुण्डली मारि क’

पुरना क्लबक साहेब सभ

आ सहेब्बाक आगाँ बैसल छै

झुण्डक झुण्ड नँगरकट्टा कुकूर।

बदलि दियौ

नवका ‘हिज मास्टर्स वॉयस’क प्रतीक-चिह्न

कुकूरकें एकवचनसँ बहुवचन बना दियौ।

 

 

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