Hindi Poem of Budhinath Mishra “Ek kiran bhor ki”,”एक किरन भोर की” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

एक किरन भोर की

 Ek kiran bhor ki

एक किरन भोर की

उतराई आँगने ।

रखना इसको सँभाल कर,

लाया हूँ माँग इसे

सूरज के गाँव से

अँधियारे का ख़याल कर ।

अँगीठी ताप-ताप

रात की मनौती की,

दिन पूजे धूप सेंक-सेंक ।

लिपटा कर बचपन को

खाँसते बुढ़ापे में,

रख ली है पुरखों की टेक ।

जलपाखी आस का

बहुराया ताल में

खुश हैं लहरें उछालकर ।

सोना बरसेगा

जब धूप बन खिलेगा मन,

गेंदे की हरी डाल पर ।

 

 

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