Hindi Poem of Budhinath Mishra “ Garaha ke jivasham”,”गरहाँ क जीवाश्म” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

गरहाँ क जीवाश्म

 Garaha ke jivasham

बाबू पढ़ने छलाह

अ सँ अदौड़ी

आ सँ आमिल

तैं न दौड़ि सकलाह

ने मिल सकलाह

सौराठक धवल-धार सँ।

जिनगी भरि करैत रहलाह पुरहिताइ

खाइत रहलाह चूड़ा-दही

बन्हैत रहलाह

भोजनी आ अगों क पोटरी

पूजावला अड.पोछा मे

हम पढ़लहुँ

अ सँ अनार

आ सँ आम

तहिया नहि बूझल छल

जे ई वर्णमाला पढ़िते

खास सँ आम भ जायब।

एहि देशक आरक्षित शब्दकोश मे

फूलक सहस्रो पर्याय अछि

मुदा फलक एकोटा नहि।

बून-बून सँ समुद्र

बनवाक प्रक्रिया मे

हम ओ भूतपूर्व बून छी

जेकरा समुद्र कहयबाक

अधिकार नहि छै।

आब हमर नेना

पढ़ि रहल छथि

ए सँ एपुल

बी सँ बैग,सी सँ कैट।

आ धीरे-धीरे

उतरि रहल अछि

हमरा दू बीतक फ्लैट मे

बाइबिलक आदम

आदम क ईव

आ ईवक वर्जित फल।

हमरा परदेस कें मात करत

बौआ क बिदेस।

हमर लगायल आमक गाछी

बाबुओ देखलनि,बौओ देखला

लेकिन बौआक लगायल सेब क गाछ

ओहि ईडन गार्डेन मे फरत

जतय नहि हेतै

आमक बास

नहि हेतै अदौड़ी क विन्यास।

लिबर्टी क ईव

पोति रहल अछि आस्ते-आस्ते

मधुबनी क भित्तिचित्र कें

देसी गुरूजी,

एक्काँ-दुक्काँ,सबैया-अढ़ैया

गरहाँ सभ जा रहल अछि भूगर्भ मे

जीवाश्म बनवाक लेल।

 

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