Hindi Poem of Budhinath Mishra “ Gumsum take chi”,”गुमसुम तकै छी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

गुमसुम तकै छी

 Gumsum take chi

राति-दिन थर-थर कँपइए पानि

हम गुमसुम तकै छी ।

आइना केर वैह पुरना बानि

हम गुमसुम तकै छी ।

भीत पर उखरल अहाँ केर नाम

कहियो इजोरिया छल

आइ सभ आखर रहल अछि कानि

हम गुमसुम तकै छी ।

हम प्रतीक्षा मे छलहुँ

क्यो रंग घोरत कासवन मे

इन्द्रधनु टूटत कत’ के जानि

हम गुमसुम तकै छी ।

दीप तर पसरल अन्हारक साँप

पलथी मारने अछि

आँखि मे फेर डबडबायल ग्लानि

हम गुमसुम तकै छी ।

यात्रा तँ यात्रा थिक

ल’ग की थिक, दूर की थिक

किंतु सूतब एना तौनी तानि

हम गुमसुम तकै छी ।

 

 

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