Hindi Poem of Budhinath Mishra “ Jine marne ki”,”जीने-मरने की!” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

जीने-मरने की!

 Jine marne ki

जकरा तन सोनित क लैस नहि

तकरा जीने-मरने  की!

ओकरे बात सुनै अछि पंचो

जकरा हाथ गड़ाँस

नीक सदा लगलैए सभ कें

निम्मल देह क माँस

जपे करैत भेल पाथर जे

तकर आसनी जरने की!

पिता छला वाचस्पति

बेटा बौक बनल अपने कर्मे

धधरा तापि सकब कतबा दिन

बैसि अहाँ लाह क घर मे

धाङत खेत साँढ़ सब,चेतू

पाछाँ बाध ओगरने की!

पक्का पीटि रहल अछि सभ क्यो

बजा-बजा कें गाल

भाङ पीबि दू धूर क डीहे

पर की रहब नेहाल?

जागू, काज करू किछु, बैसल

हाथ माथ पर धरने की!

 

 

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