Hindi Poem of Budhinath Mishra “ Kantak ban me”,”काँटक बन मे” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

काँटक बन मे

 Kantak ban me

लहुआ लिधुर भेल फूलक सपना

काँटक बन मे ।

टोलक टोल बबूर फुलायल

छटपट करइछ आमक पखिना

काँटक बन मे ।

छूटि धनुष गेल व्याधक कर सँ

देखि पियाक पियासल हिरना

काँटक बन मे ।

हमरे सँ ई दिन, ई रितु अछि

कटिते फसिल भेलौं हम अदना

काँटक बन मे ।

हरदिक रंग नहाओल विधु कें

ताम्रपत्र लिखि गेल अछि मदना

काँटक बन मे ।

कजरौटा सन एहि नगरक लेल

सूर्यक जन्म एक दुर्घटना

काँटक बन मे ।

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