Hindi Poem of Budhinath Mishra “ Kareh dhar”,”करेह धार” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

करेह धार

 Kareh dhar

गाम अनचिन्हार भेल,

लोक अनचिन्हार

चिनहै अछि मुदा

आइ धरि करेह-धार ।।

वैह तप्पत बाउल आर

वैह कंचन पानि

डेगे-डेगे लैए

गोड़ दुनू छानि

चिरै-चुनमुनी आइयॊ

दैत अछि हकार ।

कुशल-छेम पूछै अछि

बूढ़ बड़क गाछ

पूछै अछि ‘कोना रहै छी’

मखान-माछ

ठकमूरी लागल अछि,

फूटै अछि नहि बकार ।

डोमबा गाछीक आम

पूछै अछि हमर नाम

पूछै अछि जाति-पाँजि

अपने रोपल लताम

तामसे न बाजै अछि

हमरा सँ घरक चार ।

नगरक देखादेखी गाम

क‌‍‌’ रहल विकास

पानि बिकायत एत्तहु,

सुनि कें कोसी उदास

बिला गेलै टोल आर

भाथल गामक इनार ।

 

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