Hindi Poem of Budhinath Mishra “ Suraj e liya aaha”,”सुराज ई लियऽ अहाँ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सुराज ई लियऽ अहाँ

 Suraj e liya aaha

किछु मरल माछ सन सपना

दऽ कें तरहथ पर

ओ कहलनि हमरा सँऽ

सुराज ई लियऽ अहाँ।

किछु काँट-कूस

किछु अर्थहीन शब्दक पाथर

दऽ कहलनि हमरा सँऽ

सुराज ई लियऽ अहाँ।

ई केहन व्यूह-रचना क

नाम थिक लोकतंत्र

अभिमन्यु फँसैए आर

हसैए दुर्योधन

वासना इन्द्र केर

शिला भेलि गौतमी नारि

असहाय द्रौपदी नित्य

सहै छथि चीरहरण

भोजन क बेर पुर्जी पर

लिखि कें किछु आखर

ओ कहलनि हमरा सँ

सुराज ई लियऽ अहाँ ।

हम सूर्य उगाबय चलल रही

एहि धरती पर

सुरसा क कृपा सँ भेलहुँ

अन्हरिया केँ गुलाम

दऽ प्राण अहाँ भऽ गेलहुँ

अजायबघर क वस्तु

संभव अछि शोभित करी

कोनो सेठ क गोदाम

ओझरा कें ऊनक सभ गोला

सोझरैल हमर

ओ कहलनि हमरा सँ

सुराज ई लियऽ अहाँ।

 

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