Hindi Poem of Budhinath Mishra “ Uttam Purush”,”उत्तम-पुरुष” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

उत्तम-पुरुष

 Uttam Purush

दिल में राज़ दफ़न रखता है

उँगली में धड़कन रखता है।

पूछो मत तासीर जुनूँ की

सिर पर बाँध कफ़न रखता है।

वह मड़ई का राजकुँवर हैं

धारदार उसके सपने भी

देवदारु-सा पौरुष उसका

जलते हैं उससे अपने भी

दिखता भले शिला-सा शीतल

उर में तेज़ अगन रखता है।

वह खंडहर की मूरत, जलता

आँधी में दीप सरीखा

कंगन-कुंकुम बनकर उसने

श्मशानों में पलना सीखा

पग में नृत्य प्रलय का, कर में

नूतन विश्व-सृजन रखता है।

वह उठता धरती से जैसे

अंकुर फूटा हो भूतल से

वह गिरता भी तो जैसे

आशीष बरसता गगनांचल से

सूरज-चाँद उसी के, मुट्ठी में

उनचास पवन रखता है।

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