Hindi Poem of Chandrasen Virat “Utari jaye”,”उतारी जाए” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

उतारी जाए

 Utari jaye

अब हथेली न पसारी जाए.

धार पर्वत से उतारी जाए.

अपनी जेबो में भरे जो पानी

उसकी गर्दन पे कटारी जाए.

अब वो माहौल बनाओ, चलके

प्यास तक जल की सवारी जाए

झूठ इतिहास लिखा था जिनने

भूल उनसे ही सुधारी जाए..

कोई हस्ती हो गुनाहोंवाली

कटघरे बीच पुकारी जाए.

उनसे कह दो कि खिसक मंचों से

साथ बन्दर का मदारी जाए

तोड़ दो हाथ दुशासनवाले

द्रौपदी अब न उघारी जाए..

 

 

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