बन्द है नीली झील का हिलना
Band he nili jheel ka hilna
बहुत देर से बन्द है
नीली झील का हिलना
और
पंख फड़फड़ाना बत्तखों का ।
बहुत दिनों से यहाँ कुछ भी नहीं हुआ
स्नान से लेकर वस्त्र हरण तक ।
हुआ है तो सिर्फ़ बन्द होना
नीली झील के पानी की थरथराहट का
या फिर
और भी नीले पड़ते जाना
झील के काईदार होंठों का ।
बढ़ते चले गए हैं सेवार-काइयों के वंश
और आदमी
कभी फिसलन से डरता रहा है कभी उलझन से ।
वक्त गुज़रा
एक बेल चढ़ गई थी एक वृक्ष पर
उससे लिपटकर फिर, दरख़्त
बेल हो गया था
और बेल दरख़्त
सिर दोनों का ही ऊँचा था
अपने घनेपन , अपने रंग
और अपनी छाया के साथ ।
पर अचानक एक हादसा हुआ
और पेड़ या बेल या फिर बेल और पेड़
गायब हो गए थे झील के तट से
और झील के नीले दर्पण में
छायाएँ सो गई थीं
अनाकारित हो कर
उसके बाद
बहुत देर से बन्द है नीली झील का हिलना
और पंख फड़फड़ाना बत्तखों का ।