Hindi Poem of Dhananjay singh “Jyo dube jahaj ka panchi”,”ज्यों डूबे जहाज का पंछी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

ज्यों डूबे जहाज का पंछी

 Jyo dube jahaj ka panchi

यों तेरी यादों के बादल

मन पर घिर आए

ज्यों डूबे जहाज़ का पंछी

जल पर मण्डराए ।

एक-स्मृति में

सौ-सौ छवियों का मेला

शान्त झील में जैसे कोई

फेंक गया ढेला

इन्द्रधनुष के रंग न जाने

कैसे तिर आए ।

कुहरे भरी रात में जैसे

सूर्य -किरण चमके

गूँज उठे सन्नाटे में

शहनाई थम-थम के

बार-बार मन यों देख रहा मन

सपने मन-भाए!

 

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