Hindi Poem of Dharamvir Bharti “Prarthana ki kadi”,”प्रार्थना की कड़ी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

प्रार्थना की कड़ी

 Prarthana ki kadi

प्रार्थना की एक अनदेखी कड़ी

बाँध देती है, तुम्हारा मन, हमारा मन,

फिर किसी अनजान आशीर्वाद में-डूबन

मिलती मुझे राहत बड़ी!

प्रात सद्य:स्नात कन्धों पर बिखेरे केश

आँसुओं में ज्यों धुला वैराग्य का सन्देश

चूमती रह-रह बदन को अर्चना की धूप

यह सरल निष्काम पूजा-सा तुम्हारा रूप

जी सकूँगा सौ जनम अँधियारियों में,

यदि मुझे मिलती रहे

काले तमस की छाँह में

ज्योति की यह एक अति पावन घड़ी!

प्रार्थना की एक अनदेखी कड़ी!

चरण वे जो लक्ष्य तक चलने नहीं पाये

वे समर्पण जो न होठों तक कभी आये

कामनाएँ वे नहीं जो हो सकीं पूरी-

घुटन, अकुलाहट, विवशता, दर्द, मजबूरी-

जन्म-जन्मों की अधूरी साधना,

पूर्ण होती है किसी मधु-देवता की बाँह में!

ज़िन्दगी में जो सदा झूठी पड़ी-

प्रार्थना की एक अनदेखी कड़ी!

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