Hindi Poem of Dinesh Singh “Aa gye panchi”,”आ गए पंछी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

आ गए पंछी

 Aa gye panchi

आ गए पंछी

नदी को पार कर

इधर की रंगीनियों से प्यार कर

उधर का सपना

उधर ही छोड़  आए

हमेशा के वास्ते

मुँह मोड़  आए

रास्तों को

हर तरह तैयार कर

इस किनारे

पंख अपने धो लिए

नए सपने

उड़ानों में बो लिए

नए पहने

फटे वस्त्र उतारकर

नाम बस्ती के

खुला मैदान है

जंगलों का

एक नखलिस्तान है

नाचते सब

अंग-अंग उघार कर

 

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