Hindi Poem of Dinesh Singh “Bhul gye”,”भूल गए” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

भूल गए

 Bhul gye

जाने कैसे हुआ

कि प्रिय की पाती पढ़ना भूल गए

दायें-बायें की भगदड़ में

आगे बढ़ना भूल गए

नित फैशन की

नये चलन की

रोपी फ़सल अकूते धन की

वैभव की खेती -बारी में

मन को गढ़ना भूल गए

ना मुड़ने की

ना जुड़ने की

ज़िद ऊपर-ऊपर उड़ने की

ऊँचाई की चिंताओं में

सीढ़ी चढ़ना भूल गए

हम ही हम हैं

किससे काम हैं

सूर्य-चन्द्र अपने परचम हैं

फूटी ढोल बजाते रहते

फिर से मढ़ना भूल गए

 

 

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