Hindi Poem of Dinesh Singh “Kisse Gulnar ke”,”क़िस्से गुलनार के” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

क़िस्से गुलनार के

 Kisse Gulnar ke

पीपल के पके पात

पंछी पतझार के,

थोड़ी ऋतु और अभी बाक़ी है

उड़ने दो छंद ये बहार के ।

फूल-फूल अगवानी

शूल, खिंची पेशानी

मौसम का जाने कब तक है–

दाना-पानी ।

पानी के पीछे हैं

क़िस्से गुलनार के!

थोड़ी लय और अभी बाक़ी है

उड़ने दो गीत नदि पार के ।

भोरहरे की लाली

माँज रहा है माली

फूलों की आँखों में

है पूजा की थाली

थाली के फल-फूल

रिश्ते अंगार के,

थोड़ी-सी बर्फ़ अभी बाक़ी है

गलने दो, दो पहर खुमार के ।

 

 

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