प्रश्न यह है
Prashan yah he
प्रश्न यह है-
भरोसा किस पर करें
एक नंगी पीठ है
सौ चाबुकें
बचाने वाले
कभी के जा चुके
हम डरें भी तो
भला कब तक डरें
स्वप्न हमसे
जी चुराते जा रहे
आँख सुरमे से
सजाते रहे
आँसुओं से
हम इन्हें कब तक भरें
घरों के भीतर
अजाने रास्ते
अलग-अलग बँटे
हमारे वास्ते
झनझनाते पाँव
जब इन पर धरें