Hindi Poem of Dinesh Singh “Sab jute he”,”सब जुटे हैं” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सब जुटे हैं

 Sab jute he

सब जुटे हैं

खिलाने में फूल गूलर के

भूलकर रिश्ते पुराने

प्रिया-प्रियवर के

गगन के मिथ से जुड़ा है

चाँद तारे तोड़ना

या कि उनकी दिशाओं का

मुँह पकड़कर मोड़ना

सभी वह मिथ धरे हैं

मन में चुरा करके

शीश पर पर्वत उठाना

सिन्धु पीकर सोखना

भूख में सूरज निगलकर

बजाना थोथा चना

बहुत ऊँचे उड़ रहे पंछी

बिना पर के

नेह के नाते बचे जो

देह में खोते गए

हलक तक प्यासे कि पोखर-

कूप के होते गए

हम कहीं के ना रहे

ना घाट, ना घर के

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.