Hindi Poem of Divik Ramesh “Bahut kuch he abhi”,”बहुत कुछ है अभी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

बहुत कुछ है अभी

 Bahut kuch he abhi

कितनी भी भयानक हों सूचनाएँ

क्रूर हों कितनी भी भविष्यवाणियाँ

घेर लिया हो चाहे कितनी ही आशंकाओं ने

पर है अभी शेष बहुत कुछ

बहुत कुछ

जैसे होड़।

अभी मरा नहीं है पानी

हिल जाता है भीतर तक

सुनते ही आग।

अभी शेष है बेचैनी बीज में

अकुला जाता है जो

भूख के नाम से।

अभी नहीं हुई चोट अकेली

है अभी शेष दर्द

पड़ोसी में उसका।

हैं अभी घरों के पास

मुहावरों में

मंडराती छतें

हैं अभी बहुत कुछ

बहुत कुछ है पृथ्वी पर।

गीतों के पास हैं अभी वाद्ययंत्र

वाद्ययंत्रों के पास हैं अभी सपने

सपनों के पास हैं अभी नींदें

नींदों के पास अभी रातें

रातों के पास हैं अभी एकान्त

एकान्तों के पास हैं अभी विचार

विचारों के पास हैं अभी वृक्ष

वृक्षों के पास हैं अभी छाहें

छाहों के पास हैं अभी पथिक

पथिकों के पास हैं अभी राहें

राहों के पास हैं अभी गन्तव्य

गन्तव्यों के पास हैं अभी क्षितिज

क्षितिजों के पास हैं अभी आकाश

आकाशों के पास हैं अभी शब्द

शब्दों के पास हैं अभी कविताएँ

कविताओं के पास हैं अभी मनुष्य

मनुष्यों के पास है अभी पृथ्वी।

है अभी बहुत कुछ

बहुत कुछ है पृथ्वी पर

बहुत कुछ

जैसे होड़।

 

 

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