Hindi Poem of Divik Ramesh “Raat me bhi”,”रात में भी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

रात में भी

 Raat me bhi

रात में भी रात की सी बात नहीं है

गाँव है कि गाँव में देहात नहीं है

न सही उरियाँ मगर दिल में तो निहाँ थी

आज तो पर दिल में भी वह बात नहीं है

किस किस को आपने न गुनहगार कहा है

है क्या जगह ऐसी भी जहाँ घात नहीं है?

इस दौर में भी मिल गया झुक झुक के कई बार

कैसे कहूँ कि कोई खुराफात नहीं है

टेढ़ा सवाल, पर भला मैं क्या जवाब दूँ

जो आदमी न रह सका बेबात नहीं है

क्या कहूँ कि लौटिए भी घर को ए दिविक

कीजिए भी क्या जो मुलाक़ात नहीं है

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