Hindi Poem of Dushyant Kumar’“Phir kar lene do pyar priye , “फिर कर लेने दो प्यार प्रिये” Complete Poem for Class 10 and Class 12

फिर कर लेने दो प्यार प्रिये – दुष्यंत कुमार

Phir kar lene do pyar priye – Dushyant Kumar

 

अब अंतर में अवसाद नहीं

चापल्य नहीं उन्माद नहीं

 सूना-सूना सा जीवन है

 कुछ शोक नहीं आल्हाद नहीं

 तव स्वागत हित हिलता रहता

 अंतरवीणा का तार प्रिये ..

इच्छाएँ मुझको लूट चुकी

 आशाएं मुझसे छूट चुकी

 सुख की सुन्दर-सुन्दर लड़ियाँ

 मेरे हाथों से टूट चुकी

 खो बैठा अपने हाथों ही

 मैं अपना कोष अपार प्रिये

 फिर कर लेने दो प्यार प्रिये ..

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