Hindi Poem of Dwarika Prasad Maheshwari “Hum he“ , “हम हैं” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

हम हैं
Hum he

 

हम नन्हे-नन्हे बालक हैं,
जैसे नन्हे-नन्हे रजकण।
हम नन्हे-नन्हे बालक हैं,
जैसे नन्हे-नन्हे जल-कण।
लेकिन हम नन्हे रजकण ही,
हैं विशाल पर्वत बन जाते।
हम नन्हे जलकण ही,
हैं विशाल सागर बन जाते।
हमें चाहिए सिर्फ इशारे।
हम हैं सूरज-चाँद-सितारे।।
हैं हम बच्चों की दुनिया ही,
एक अजीब-गरीब निराली।
हर सूरत मूरत मंदिर की,
हर सूरत है भोली-भाली।
यहाँ न कोई भेद रंग का,
सब के सब हम एक रंग हैं।
पूरब-पश्चिम, उत्तर-दक्षिण,
सभी दिशाएँ एक संग हैं।
पृथ्वी माँ के राज-दुलारे।
हम हैं सूरज-चाँद-सितारे।।
एक धरा की ही गोदी में,
सारे बच्चे पले हुए हम।
एक धरा की ही गोदी में,
सारे बच्चे बड़े हुए हम।
एक हमारी आसमान छत,
एक हमारी साँस पवन है।
धूप-चाँदनी के कपड़ों से,
ढका हुआ हम सबका तन है।
हम हैं एक विश्व के नारे।
हम हैं सूरज-चाँद-सितारे।।

 

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