Hindi Poem of Ghalib “Afsos ki danda ka kiya rizak falak ne , “अफ़सोस कि दनदां का किया रिज़क़ फ़लक ने” Complete Poem for Class 10 and Class 12

अफ़सोस कि दनदां का किया रिज़क़ फ़लक ने – ग़ालिब

Afsos ki danda ka kiya rizak falak ne -Ghalib

 

अफ़सोस कि दनदां का किया रिज़क़ फ़लक ने
जिन लोगों की थी दर-ख़ुर-ए-अक़्द-ए-गुहर अंगुश्त

काफ़ी है निशानी तिरा छल्ले का न देना
ख़ाली मुझे दिखला के ब-वक़्त-ए-सफ़र अंगुश्त

लिखता हूं असद सोज़िश-ए दिल से सुख़न-ए गरम
ता रख न सके कोई मिरे हरफ़ पर अनगुशत

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