अपना अहवाल-ए-दिल-ए-ज़ार कहूँ – ग़ालिब
Apna Ahval-e-zaar kahu -Ghalib
ये न थी हमारी क़िस्मत के विसाले यार [1]होता
अगर और जीते रहते यही इन्तज़ार होता
शब्दार्थ:
[1]प्रिय से मिलन
अपना अहवाल-ए-दिल-ए-ज़ार कहूँ – ग़ालिब
Apna Ahval-e-zaar kahu -Ghalib
ये न थी हमारी क़िस्मत के विसाले यार [1]होता
अगर और जीते रहते यही इन्तज़ार होता
शब्दार्थ:
[1]प्रिय से मिलन