Hindi Poem of Ghalib “Bijli ek kond gayi aankho ke aage to kya , “बिजली इक कौंद गयी आँखों के आगे तो क्या” Complete Poem for Class 10 and Class 12

बिजली इक कौंद गयी आँखों के आगे तो क्या – ग़ालिब

Bijli ek kond gayi aankho ke aage to kya -Ghalib

 

बिजली इक कौंद गयी आँखों के आगे तो क्या,
बात करते कि मैं लब तश्नए-तक़रीर भी था ।
पकड़े जाते हैं फरिश्तों के लिखे पर नाहक़,
आदमी कोई हमारा, दमे-तहरीर भी था ?

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.