चशम-ए-ख़ूबां ख़ामुशी में भी नवा-परदाज़ है – ग़ालिब
Chashm-e-khub khamushi mein bhi nava-padaz hai -Ghalib
चश्म-ए-ख़ूबाँ ख़ामुशी में भी नवा-पर्दाज़ है
सुर्मा तो कहवे कि दूद-ए-शोला-ए-आवाज़ है
पैकर-ए-उश्शाक़ साज़-ए-ताला-ए-ना-साज़ है
नाला गोया गर्दिश-ए-सैय्यारा की आवाज़ है
दसत-गाह-ए दीदह-ए ख़ूं-बार-ए मजनूं देखना
यक-बयाबां जलवह-ए गुल फ़रश-ए-पा-अंदाज़ है
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चशम-ए ख़ूबां मै-फ़रोश-ए-नशशह-ज़ार-ए-नाज़ है
सुरमह गोया मौज-ए दूद-ए शु`लह-ए आवाज़ है
है सरीर-ए ख़ामह रेज़िशहा-ए इसतिक़बाल-ए-नाज़
नामह ख़वुद पैग़ाम को बाल-ओ-पर-ए परवाज़ है
सर-नविशत-ए इज़तिराब-अनजामी-ए उलफ़त न पूछ
नाल-ए ख़ामह ख़ार-ख़ार-ए ख़ातिर-ए आग़ाज़ है
शोख़ी-ए इज़हार ग़ैर अज़ वहशत-ए मजनूं नहीं
लैला-ए-मानी असद महमिल-निशीन-ए-राज़ है