Hindi Poem of Ghalib “Har Kadam duri-e-manjil hai numaya mujhse , “हर क़दम दूरी-ए-मंज़िल है नुमायाँ मुझसे” Complete Poem for Class 10 and Class 12

हर क़दम दूरी-ए-मंज़िल है नुमायाँ मुझसे- ग़ालिब

Har Kadam duri-e-manjil hai numaya mujhse -Ghalib

 

हर क़दम दूरी-ए-मंज़िल है नुमायाँ[1]मुझसे
मेरी रफ़्तार से भागे है बयाबाँ मुझसे

दर्से-उन्वाने-तमाशा[2]बा-तग़ाफ़ुल[3]ख़ुशतर[4]
है निगहे- रिश्ता-ए-शीराज़ा-ए-मिज़गाँ[5]

वहशते-आतिशे-दिल[6]से शबे-तन्हाई[7]में
सूरते-दूद [8]रहा साया गुरेज़ाँ [9]मुझसे

ग़मे-उश्शाक़[10]न हो सादगी आमोज़े-बुताँ[11]
किस क़दर ख़ाना-ए- आईना[12]है वीराँ मुझसे

असरे-आब्ला[13]से है जादा-ए-सहरा-ए-जुनूँ[14]
सूरते-रिश्ता-ए-गोहर[15]है चराग़ाँ मुझसे

बेख़ुदी बिस्तरे-तम्हीदे-फ़राग़त[16]हो जो
पुर है साये की तरह मेरा शस्बिस्ताँ[17]मुझसे

शौक़े-दीदार में गर तू मुझे गर्दन मारे
हो निगह मिस्ले-गुले-शम्मअ परीशाँ मुझसे

बेकसी हाए शबे-हिज्र की वहशत है ये
साया ख़ुरशीदे-क़यामत [18] में‍ है पिन्हाँ मुझसे

गर्दिशे-साग़रे-सद जल्वा-ए-रंगीं तुझसे
आईना दारी-ए-यक दीद-ए-हैराँ [19]मुझसे

निगह-ए-गर्म से इक आग टपकती है ‘असद’
है चराग़ाँ ख़स-ओ-ख़ाशाके-गुलिस्ताँ[20] मुझसे

 

शब्दार्थ:

1 परिचित
2 खेल-शीर्षक की शिक्षा
3 उपेक्षित
4 हर्षित
5 बिखरी पलकों को सी देने वाला धागा मुझसे
6 हृदय की तपिश के डर से
7 अकेलेपन की रात
8 धुएँ की तरह
9 बचता
10 प्रियवर का दु:ख
11 प्रिय प्रशिक्षक
12 दर्पण गृह
13 छालों के प्रभाव से
14 जंगल के रास्तों का उन्माद
15 मोतियों जैसा
16 अवकाश का उपक्रम
17 रात्रि-गृह
18 प्रलय के समय का सूर्य
19 चकित
20 उद्यान का कूड़ा-कचरा जलना

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