सितम-कश मस्लहत से हूँ कि ख़ूबाँ तुझ पे आशिक़ हैं – ग़ालिब
sitam-kash maslhat se hu ki khuba tujh pe aashiq hein -Ghalib
सितम-कश मस्लहत से हूँ कि ख़ूबाँ तुझ पे आशिक़ हैं
तकल्लुफ़ बरतरफ़ मिल जाएगा तुझ सा रक़ीब आख़िर
सितम-कश मस्लहत से हूँ कि ख़ूबाँ तुझ पे आशिक़ हैं – ग़ालिब
sitam-kash maslhat se hu ki khuba tujh pe aashiq hein -Ghalib
सितम-कश मस्लहत से हूँ कि ख़ूबाँ तुझ पे आशिक़ हैं
तकल्लुफ़ बरतरफ़ मिल जाएगा तुझ सा रक़ीब आख़िर