Hindi Poem of Ghalib “Vah har ek baat par kahna ki yo hota to kya hota , “वह हर एक बात पर कहना कि यों होता तो क्या होता” Complete Poem for Class 10 and Class 12

वह हर एक बात पर कहना कि यों होता तो क्या होता – ग़ालिब

Vah har ek baat par kahna ki yo hota to kya hota -Ghalib

 

न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता,
डुबोया मुझको होने ने न मैं होता तो क्या होता !

हुआ जब गम से यूँ बेहिश तो गम क्या सर के कटने का,
ना होता गर जुदा तन से तो जहानु पर धरा होता!

हुई मुद्दत कि ‘ग़ालिब’ मर गया पर याद आता है,
वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता !

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.