Hindi Poem of Ghalib “Ye hum jo hijj mein divar-o-dar ko dekhte hein , “ये हम जो हिज्र में दीवार-ओ-दर को देखते हैं” Complete Poem for Class 10 and Class 12

ये हम जो हिज्र में दीवार-ओ-दर को देखते हैं – ग़ालिब]

Ye hum jo hijj mein divar-o-dar ko dekhte hein -Ghalib

 

ये हम जो हिज्र में दीवार-ओ-दर को देखते हैं
कभी सबा को, कभी नामाबर को देखते हैं

वो आए घर में हमारे, खुदा की क़ुदरत हैं!
कभी हम उमको, कभी अपने घर को देखते हैं

नज़र लगे न कहीं उसके दस्त-ओ-बाज़ू को
ये लोग क्यूँ मेरे ज़ख़्मे जिगर को देखते हैं

तेरे ज़वाहिरे तर्फ़े कुल को क्या देखें
हम औजे तअले लाल-ओ-गुहर को देखते हैं

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