Hindi Poem of Gopal Prasad Vyas “Mathura Mahima“ , “मथुरा-महिमा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मथुरा-महिमा
Mathura Mahima

प्रात उठि मंगला कौं धावैं मथुरा के लोग,
कोऊ रंगेश्वर जायँ बोल उठैं बम-बम।
आचमन करैं कोउ, गोता लैंय गिन-गिन,
कोऊ बुरजन चढ़ि कूद परैं धम-धम।
करत कलेऊ ये जलेबी-कचौरिन के,
मस्ती में कटै हैं दिन, कैसौ रंज काकौ गम?
तोकूँ कहा जानैं, तेरे बाप की न मानैं,
यमुना के पूत हम, मामा हैं हमारे यम॥

भागे बौद्ध मठ छोड़, शस्त्र छोड़ भागे शक,
कृष्ण भागे बंसी छोड़, कुबजा बिसारी है।
पंडित प्रबीन भागे, माथुर कुलीन भागे,
यमुना हू भागी ‘व्यास’, जल-कष्ट भारी है।
चातक चकोर भागे, शुक-पिक-मोर भागे,
कदम-तमाल भागे, झाड़-झंकारी है।
तऊ याहि देखिबे कूँ भागैं दुनिया के लोग,
मथुरा हमारी तीन लोकन ते न्यारी है।

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